गौ सेवा/रक्षक/दान
धार्मिक ग्रंथों में लिखा है “गावो विश्वस्य मातर:”
अर्थात गाय विश्व की माता है।
गौमाता की रीढ़ की हड्डी में सूर्य नाड़ी एवं केतुनाड़ी साथ हुआ करती है, गौमाता जब धुप में निकलती है तो सूर्य का प्रकाश गौमाता की रीढ़ हड्डी पर पड़ने से घर्षण द्धारा केरोटिन नाम का पदार्थ बनता है जिसे स्वर्णक्षार कहते हैं।
गौ सेवा/रक्षक/दान
सनातन धर्म में गाय को माता की उपाधि दी गई है।
वैदिक काल से ही गाय की सेवा का विस्तृत वर्णन मिलता है !
गौ दान, गौ सेवा, गौ रक्षक ये तीनो ही कार्य कर हम केवल सिर्फ गाय या मनुष्यजाती का ही नही बल्कि संपूर्ण सृष्टि का उद्धार करते हे !
- गौ माता में सभी देवी-देवताओं का वास माना गया है।
- गौ माता की पूजा से पापों का हरण और कष्टों का निवारण हो जाता है।
- गौ माता श्री कृष्ण को भी अति प्रिय मानी जाती है।
- गाय के महत्व का जितना वर्णन करू उतना कम ही होगा ! अगर कुछ शब्दों में कहूं तो, "गाय वो है जिसकी सेवा स्वयं ईश्वर (कृष्ण) ) करते हे !"
- अगर आप भी गौ सेवा, गौ रक्षक या गौ दान के कार्य से जुड़ना चाहते है तो हमे संपर्क करे !
“सब वेद पुराण गाय की महिमा गाते है,
गाय की रक्षा करने स्वयं भगवान आते है !”
“जीवन के उच्च आदर्श अपने हृदय में धरो,
गाय-बछड़ो की सेवा और रक्षा करो.”
गाय की रक्षा करने स्वयं भगवान आते है !”
“जीवन के उच्च आदर्श अपने हृदय में धरो,
गाय-बछड़ो की सेवा और रक्षा करो.”