श्री नाथ जी की जमात
श्री नाथ जी की जमात
संसार में जब भी असह्य कठिनाईयों और मोहमय जीवन के बारे में बात होती है, साधु-संत और संन्यासी एक दिव्य उज्ज्वलता की ओर इंगीत करते हैं।
१३-१४ जानेवारी को श्री नाथजी की जमात का आयोजन किया गया था. सभी साधु संत, नाथ को एकत्रित कर उनकी सेवा करके सभी भक्तो ने आशीर्वाद पाकर अपने आप को कृतार्थ समझा !
साधु संतो को एकत्रित करना, उन्हें भोजन देना उनकी सेवा करना, उनके सानिध्य में रहना ये सभी पुण्यवर्धक और धार्मिक एवं सामाजिक कार्य हम करते हे !

इन्हे करना क्यों जरूरी है और इससे समाज को क्या लाभ होता है ? आइए जानते है !
सामाजिक उत्थान की ओर
साधु-संत और संन्यासी समाज के उत्थान की ओर एक मार्गदर्शन करते हैं। उनके जीवन का मूल मंत्र है - "सर्वे भवन्तु सुखिनः" (सभी कुशहाल हों)। वे संसार को शांति, समृद्धि और सांस्कृतिक समृद्धि की दिशा में प्रेरित करने में संलग्न हैं।
धार्मिक शिक्षा और प्रचार-प्रसार
इन महात्माओं का उद्देश्य हमें अपने आत्मा का साक्षात्कार करने के साथ-साथ धार्मिक सिद्धांतों का सही अर्थ सिखाना है। वे शिक्षा और प्रचार-प्रसार के माध्यम से समाज को जागरूक करते हैं, सत्य और नैतिकता के मार्ग पर चलने के लिए प्रेरित करते हैं।
त्याग और सेवा
साधु-संत और संन्यासी त्याग और सेवा का अद्वितीय प्रतीक हैं। उन्होंने स्वयं को भगवान की सेवा में समर्पित कर दिया है और अन्यों की मदद के लिए उपकृति में जुट गए हैं।
धरोहर की सुरक्षा
ये महात्मा अपने जीवन को धरोहर की तरह संजीवनी बूंदों के रूप में देखते हैं और समाज को उन धरोहरों को सुरक्षित रखने का आह्वान करते हैं।